Buffalo breedsb:-भैंस की प्रमुख नस्लें
1. मुर्रा भैंस प्राप्ति स्थान buffalo breeds:- यह नस्ल हरियाणा, पंजाब,दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश,बिहार इत्यादि राज्यों में पायी जाती है।
.भदावरी प्राप्ति स्थान:- यह नस्ल उत्तर प्रदेश के आगरा, ग्वालियर तथा इटावा जिलों के आस-पास के क्षेत्रों में पायी जाती है। शारीरिक लक्षण: इसका रंग ताँबे जैसा, सफेद गुच्छेदार लम्बी पूँछ, सींग चपटे, मोटे पीछे की ओर मुडकर ऊपर अंदर की ओर मुड़ा हुआ होता है। अयन छोटे, जिसपर शिराएँ उभरी होती है। औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन की क्षमता 1100-1300 लीटर है।
2. जाफराबादी भैंस प्राप्ति स्थान Pashu palan :-यह नस्ल गुजरात,जूनागढ़,अमरेली काठियाबाड़ तथा जाफराबाद के निकटवर्ती भदावरी प्राप्ति स्थान क्षेत्रों में पायी जाती है
शारीरिक लक्षण:- गलकम्बल पूर्ण विकसित। इसका सिर और गर्दन भारी तथा ललाट उभरा हुआ होता है। सींग भारी एवं गर्दन की ओर मुड़े हुए होते है। औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन की क्षमता 1300-1400 लीटर है।
3.सूरती भैंस प्राप्ति स्थान :-यह स्थान गुजरात,नडियादि, बड़ौदा,नदियों का निकटवर्ती क्षेत्र नाडियाद, बसाड़ और खेडा।
शारीरिक लक्षण:- शरीर मध्यम आकार का कद मंझोला, पेट आगे की ओर पतला तथा पीछे चौड़ा, सिर लम्बा, चौड़ा एवं सींगों के बीच गोलाकार, सींग प्रायः हंसिये के आकार के मध्यम लम्बाई के और चपटे, सफेद गुच्छेयुक्त लम्बी पूँछ, रंग काला अथवा भूरा, जबड़े व छाती परसफेद पट्टियाँ। औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन 1300-1400 लीटर तक ।
4.नीली रावी भैंस प्राप्ति स्थान:- यह नस्ल पंजाब ,दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश,बिहार से कुछ अन्य राज्यों में भी पायी जाती है।
शारीरिक लक्षण:- इसका रंग काला एवं कुछ भूरे रंग में पाये जाते हैं। माथे पर सफेद टीका। धंसा हुजा ललाट। चेहरा, बूधन और पैरी पर सफेद धानियाँ, लम्बी, पतली, गर्दन परन्तु गलकम्बल नहीं। सींग छोटे, मोटे और भुड़े हुए। मध्यम आकार के नुकीले कान। अयन पूर्ण विकसित एवं साग सम्बे।औसतन प्रति व्यात दूध उत्पादन की क्षमता1800- 2000 लीटर है।
5.मेहसाना भैंस प्राप्ति स्थान:-या नरल गुजरात के मेहसाना जिला में पाया जाता है।
शारीरिक लक्षण:- इसका आकार मध्यम, काला रंग तथा सिर मुर्रा नस्ल के मैस से मिलता जुलता है। गर्दन लम्बी, ललाट चौड़ा जिसके माय में थोडा गजा, चेहरा लम्बा और सीधा थूथन चौड़ी एवं नथुने खुले हुए, सीग दंतार की शक्ल के एवं मुर्रा भैस की अपेक्षा कम मुठे हुए। मध्यम आकारके नोकदार कान एवं अंदर बाल उगे हुए। औसतन प्रति व्यांत दूध उत्पादन की क्षमता 1800-2700 लीटर है।
भैंस का आहार भैस एक जुगाली करने वाला पशु है। अतः इनके आहार का मुख्य अवयव सूखा चारा, हरा चारा एवं दाना मिश्रण होता है। व्यवसाय एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से भैस को संतुलित आहार देना माहिए। पैसा आहार जिसमें पशु की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति एवं उसे स्वस्थ रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्य (प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट पर खनिज लवण तथा विटामिन) सही अनुपात एवं उमित मात्रा में उपलब्ध हो, संतुलित आहार कहते हैं। सूत्रा चारा के रूप में पुआल, गेहूँ अरहर, चना, मटर इत्यादि का भूसा मुख्य रूप से दिया जाता है। पुआल की अपेक्षा भूसा को पशु अधिक चाप से खाते है। भैंस के चारे में हरे चारे का विशेष महत्व है क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है तथा दूध उत्पादन में भी वृद्धि करता है। मैस के आहार में चराई का विशेष महता है। कभी-कभी भैस चर कर भी हरी घास से पेट भर लेती है। हरे चारे के रूप में रबी मौसम में बरसीम सई तथा खनीक में मक्का, ज्यार, एम०पी०चेरी, लोबिया इत्यादि का उपयोग हमारे पशुपालक मुख्य रूप में करते है। सूखे हरे चारे के अतिरिक्त आहार को संतुलित बनाने के लिए दाना मिश्रण की खास भूमिका है। यह प्रायः मकई, जी, गेहूँ चोकर खुद्दी बल्ली, खनिज लवण नमक इत्यादि को मिलाकर बनाया जाता है।
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